सावधान, केरल का यह वायरस जानलेवा है

सावधान, केरल का यह वायरस जानलेवा है

सेहतराग टीम

केरल के कोझिकोड में दुर्लभ वायरस ने 8 लोगों की जान ली, वायरस का पता लगाने के लिए हरकत में आई केंद्र सरकार

हमारा देश पहले ही दुनिया के दूसरे देशों से आए स्‍वाइन फ्लू जैसे वायरस से तबाह है और अब केरल में एक ऐसा विषाणु सामने आया है जिसकी चपेट में आने वााले लोगों में मृत्‍युदर करीब 70 फीसदी है। केरल के कोझिकोड में इस वायरस ने अबतक आठ लोगों की जान ले ली है जिसमें से 4 एक ही परिवार के हैं। आठ अन्‍य लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है और 25 लोगों को ऑब्‍जर्वेशन में रखा गया है।

केरल के लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने केरल के कोझिकोड जिले में इस विषाणु के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र सरकार की मदद मांगी है। रामचंद्रन का दावा है कि यह ‘ घातक एवं दुर्लभ ’ विषाणु है। केरल सरकार ने भी केंद्र की मदद मांगी है और केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने रविवार को ही विशेषज्ञों की एक टीम केरल रवाना कर दी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार त्‍वरित कदम उठा रही है और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। केरल की स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के के शैलजा ने कहा है कि वायरस से प्रभावित लोगों के सैंपल नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे को भेजे गए हैं और वहां की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जेपी नड्डा को ल‍िखे पत्र में रामचंद्रन ने कहा है कि उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वताकरा में कुट्टियाडी तथा पेरम्ब्रा सहित कुछ पंचायत क्षेत्र इस घातक विषाणु की चपेट में हैं। उन्‍होंने इस पत्र की प्रति मीडिया को भी उपलब्‍ध कराई है।

हालांकि ये कौन सा विषाणु है इसे लेकर भ्रम की स्थिति है। रामचंद्रन के अनुसार कुछ डॉक्‍टर इस विषाणु का नाम निपाह बता रहे हैं जबकि कुछ ने इसे जूनोटिक विषाणु बताया है। हालांकि डॉक्‍टर एक बात पर सहमत हैं कि ये विषाणु घातक है और तेज गति से फैलता है।

रामचंद्रन ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को भेजे पत्र में दावा किया है कि विषाणु की चपेट में आए लोगों में मृत्युदर 70 प्रतिशत होती है और इसके प्रकोप को बढ़ने से रोकने की आवश्यकता है। कोझिकोड जिले में पिछले 15 दिन में घातक विषाणु से संबंधित बीमारी के चलते आठ लोगों की मौत की खबर के मद्देनजर रामचंद्रन ने यह पत्र लिखा है

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